क्षणिकाएं – १६

क्षणिकाएं – १६

(
)

आज फिर से मन उदास है मैंने पूछा, अब क्या बात है
कहने लगा, वो पास तो है पर क्या दिल से भी साथ है।
मेरा पागल दिल, नहीं जानता इतना समय किसके पास है।।

()

मृग मरीचिका सी तुम, और मैं पीछे दौड़ रहा हूं
रेगिस्तान सा जीवन, मैं सांस सांस दम तोड रहा हूं।।

()

शिकार तेरी नज़रों के बड़े हैं
अदाओं से तेरी घायल भी पड़े हैं
गवाह तेरे गुनाहों का खुदा खुद भी नहीं है
मासूम है, शोख भी है, मेरा क़ातिल भी वही है।।

()

कहते हैं कांच की दीवार है,
विश्वास प्रेम का आधार है
मीरा का मोहन पर, कान्हा का राधा पर
कहीं भक्ति तो कहीं निश्छल प्रेम की बयार है।।

आभारनवीन पहल – २८.०८.२०२२🌹💐🙏

# नॉन स्टॉप २०२२ 

   16
5 Comments

Satvinder Singh

13-Sep-2022 10:50 AM

Nice 👍

Reply

shweta soni

31-Aug-2022 11:04 AM

Behtarin rachana

Reply

Gunjan Kamal

29-Aug-2022 01:16 AM

बहुत खूब

Reply